गुरुवार, 1 मई 2025

वंदना टेटे के काव्य में तिलका मांझी का संघर्ष !! Aadiwasi Kavita !! वदंना टेटे

वंदना टेटे के काव्य में तिलका मांझी का संघर्ष

-Dr. Dilip Girhe


बाबा तिलक

तुम पर कोड़ों की बरसात हुई 

तुम घोड़े में बांधकर घसीटे गए 

फिर भी तुम्हें मारा नहीं जा सका

तुम भागलपुर में सरेआम 

फांसी पर लटका दिए गए 

फिर भी डरते रहे जमींदार और अंग्रेज 

तुम्हारी तिलका (गुस्सैल) आंखों से 

और मर कर भी तुम मारे नहीं जा सके

सिंगारसी पहाड़ पर तुम जनमे 

पहाड़िया लोगों की तुमने फौज बनाई 

तुम्हारी तीर से मारा गया क्लीवलैंड 

तुमने खदेड़ा दुश्मनों को रामगढ़ तक

आज सिर्फ तुम्हें तुम्हारे पहाड़िया वंशज ही नहीं 

संताल भी तुम्हें अपना मानते हैं

तुम जो अंग्रेजों के लिए 'जौराह' डाकू थे 

तुम जो 1300 लड़ाकों के मांझी (अगुआ) थे

तुम जो जबरा पहाड़िया थे 

और तुम्हीं, जो बाबा तिलका मांझी हो

हम सब आदिवासी जनगण तुम्हें याद करते हैं

-वंदना टेटे

काव्य संवेदना:

कवयित्री वंदना टेटे अपनी कविता 'बाबा तिलक' में तिलका मांझी की वीरता एवं उनके संघर्ष का वर्णन करती है। तिलका मांझी का  आदिवासियों की शौर्यगाथाओं में एक आदिवासी नेता के रूप में जाने जाते हैं। जिन्होंने अंग्रेजी सत्ता के ख़िलाफ़ संघर्ष की लड़ाई लड़ी थी। कवयित्री कविता संदर्भ देती है कि तिलका माझी को कोड़ों की बरसात और घोड़ों को बांधकर घसीटकर लाने जैसे घटनाएं उनके साथ कि गई। प्रस्तुत कविता में वंदना टेटे ने आदिवासी जननायक तिलका मांझी का संघर्ष एवं वीरता को रेखांकित किया है। उनको रामगढ़ तक खदेड़ा दिया गया। तिलका को अंग्रेजों ने भले ही डाकू घोषित किया था। वे उनके विरुद्ध जौराह डाकू के रूप में काम करते थे। आदिवासी समुदाय के लिए एक नायक के रूप में उन्होंने कार्य किया है। उनकी विरासत औऱ कार्य को आज भी याद किया जाता हैं।

ब्लॉग से जुड़ने के लिए निम्न व्हाट्सएप ग्रुप जॉइन करे...

कोई टिप्पणी नहीं: