खड़िया और हिंदी भाषी रोज केरकेट्टा जी को अंतिम जोहार
जीवन काल :
(5 दिसंबर 1940 - 17 अप्रैल 2025) वे एक महिला लेखिका, कवि, विचारक और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता थीं।
काव्य की विशेषता:
झारखंड की सबसे पूरानी साहित्यिक हस्ताक्षर में से एक थी। हिंदी साहित्य में उन्होंने प्रेमचंद के कहानियों का खड़िया भाषा में अनुवाद किया। उनकी कविता में आदिवासी स्त्री, आदिवासी, अस्तित्व , भाषा, संस्कृति एवं सामाजिक जीवन की चेतना दिखती है। ऐसी सामाजिक एवं साहित्यिक महिला कार्यकता का चला जाना यह साहित्य एवं भाषा के लिए सबसे बड़ी क्षति मानी जायेगी। उनको भावभीनी अंतिम जोहार...
उनके बारे में प्रभात खबर समाचार पत्र में छपी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से पढ़िए...
![]() |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें