गुरुवार, 1 मई 2025

वंदना टेटे के काव्य में प्राकृतिक संपदा नष्ट होने की चिंता-Aadiwasi Kavita-vandana tete-Ham ja rahe hain!!

वंदना टेटे के काव्य में प्राकृतिक संपदा नष्ट होने की चिंता

-Dr.Dilip Girhe


हम भी जा रहे हैं

जैसे सूख गई दामोदर सुवर्णरखा 

जैसे आसमान में बिला गई सुगंधित हवाएं 

जैसे चूर-चूर हो गए मजबूत पहाड़ 

जैसे छंटते-कटते चले गए जंगल 

हम भी जा रहे हैं

हम जा रहे हैं 

जैसे चले गए भालु, हाथी और बाघ 

जैसे चली गई घरों में फुदकती गौरैया 

जैसे गायब हो गए मेंढ़क 

जैसे खो गई सब की सब तितलियां

हां, हम जा रहे हैं 

जैसे चले गए गोंदली, मडुवा और गोड़ा धान 

जैसे गुम हो गए चुआं, डाड़ी और झरने 

जैसे रेंगते हुए जाने कहां चले गए 

डुगडुगिया और धामिन सांप

हम जा रहे हैं 

जैसे चले गए पुरखे

जैसे जा रही है यह धरती 

सबकी पहुंच से बाहर 

धीरे-धीरे हर क्षण

-वंदना टेटे

काव्य संवेदना:

कवयित्री वंदना टेटे ने प्रकृति के प्रत्येक हिस्से पर अपने गहरे चिंतन से काव्य लेखन किया है। 'हम भी जा रहे हैं' कविता में प्रकृति के विनाश होते घटकों का वर्णन किया है। वे कहती है कि हम सबके लिए यह एक गहरा सदमा देने वाली एवं चिंताजनक बात है कि हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर खतरा मंडराने लगा है। यहाँ के जीव-जंतुओं के साथ-साथ हमारी भी जाने की बारी आने वाली है इसी वजह कवि को कलमबद्ध करना पड़ा है 'हम भी जा रहे हैं'। 

जिस प्रकार से प्रकृति के घटक समाप्त हो रहे हैं। वैसे ही मानव समाज की नस्ल भी धीरे-धीरे खत्म होने के कगार पर है। कवयित्री प्रकृति से नदियों सुखाना, सुगंधित हवाओं का गायब होना, पहाड़ों का नष्ट होना, जंगलों का उजड़ना, भालू-हाथी व बाघ जैसे प्राणियों का गायब होना, गौरैया का चिवचिवाट घरों एवं आंगनों से गायब होना, मेढ़क-तितलियों का न दिखाना, गोंदली, मडुवा, गोडा जैसे पारंपरिक फसलों का न दिखाना, चुआ, डाडी, झरने जैसे जलस्त्रोत का ग़ायब होना और रेंगते हुए सापों का न दिखाना बहुत ही चिंताजनक बात है। वे सब तो सब जा रहे हैं इनके साथ मानव जाति भी जा रही है।

वर्तमान में ऐसे असंख्य प्राकृतिक घटक नष्ट हो रहे हैं। इसलिए कवयित्री हम जा रहे हैं का संदेश दे रही है। इस प्रकार से कवि ने 'हम जा रहे हैं' कविता में उदासी भावनाओं के साथ मानव समाज की गहरी चिंता को भी व्यक्त किया है। वे कहती है कि यदि प्रकृति को उजाड़ा जाता है तो भविष्य में निश्चित ही मानव समाज का भविष्य खतरे में है।

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