मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025

वंदना टेटे के काव्य में बेदखल होती स्त्री की दशा व दिशा-Vandana Tete -Poem-Bedakhal hoti stri


वंदना टेटे के काव्य में बेदखल होती स्त्री की दशा व दिशा

Dr. Dilip Girhe


बेदखल होती स्त्री

स्त्री/औरत/युवती/लड़की

जब भी बनाती है जमीन

अपने खड़े होने के लिए

बड़े साहस से

कि रिश्तों के, हुक्मरानों के कान खड़े हो जाते हैं

नजरें गिद्ध की सी पैनी और पंजे धारदार हो जाते हैं

जिद्दी/निर्भीक / लड़ाकू स्त्री 

उपनामों का बोझ ढोये

खड़ी है जबरन अपनी-जमीन पर

क्योंकि फतवा जारी है

उसके खिलाफ

और वह

हुक्मरानों के लरियाये मुंह

और कुत्ते से तीखे दांतो

के खिलाफ ।

-वंदना टेटे

काव्य संवेदना:

बेदखल होती स्त्री इस कविता के माध्यम से कवयित्री वंदना टेटे स्त्री की स्थिति को दर्शाती है, जो स्त्री समाज में अपने अधिकारों और पहचान के लिए संघर्ष कर रही है। उसके अस्तित्व को रेखांकित करती है। "बेदखल" शब्द का अर्थ है "किसी को उसके अधिकारों या स्थान से वंचित करना।" यहाँ कवि यह कहना चाहती है कि स्त्री हजारों सालों से समाज में अपने अधिकारों और पहचान के लिए संघर्ष करना पड़ता है। स्त्री जब जब अपने अधिकारों एवं संघर्ष को पेश करती है। तो उसके साथ साहस की जरूरत होती है। 

स्त्री साहस और संघर्ष से ही समाज में गतिशील बनने की कोशिश करती है। इतना ही नहीं जब भी वह परिवर्तन के मार्ग पर चलने के लिए तैयार हो जाती है। तो उसके ही अपने लोग उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हैं। उनके कान खड़े हो जाते हैं। उसकी गतिविधियों पर और तुरंत ही उसे पीछे खिंचने लगते है। इस क्रिया से उसके प्रगति में रुकावट आ जाती है। एक गिद्ध की नजरों की तरह वे लोग नज़र रखते हैं। और अपने पंजे से शिकार करने के लिए तैयार हो जाते हैं। बावजूद इसके स्त्री संघर्ष "जिद्दी", "निर्भीक" और "लड़ाकू" कहा जाता है, जो उसके साहस और संघर्ष एक प्रतीक है। जिससे उसकी पहचान होती है।

आज हम देखते हैं कि स्त्री को से बेदखल करने के लिए कई फतवे जारी किए जाते हैं और उसे दबाने की कोशिश भी की जाती है। हुक्मरानों के "लरियाये मुंह" और "कुत्ते से तीखे दांत" का अर्थ है कि समाज के शक्तिशाली लोग स्त्री को नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार हैं। यही शक्तिशाली लोग ही स्त्री के गतिशीलता को ब्रेक लगाते है।

निष्कर्ष रूप में कहा जाता है कि कविता में स्त्री की स्थिति और उसके संघर्ष को दर्शाया गया है। कवि यह कहना चाहता है कि स्त्री को समाज में अपने अधिकारों और पहचान के लिए संघर्ष करना पड़ता है और उसे समाज के शक्तिशाली लोगों के दबाव का सामना करना पड़ता है। लेकिन स्त्री हार नहीं मानती और अपने अधिकारों के लिए खड़ी रहती है।

ब्लॉग से जुड़ने के लिए निम्न व्हाट्सएप ग्रुप जॉइन करे...

कोई टिप्पणी नहीं: